आज के समय में देवीय श्रृद्धा इंसानों के पाखंड तक सीमित हो के रह गई ,कभी कभी तो लगता मानों कलम त्याग ... आज के समय में देवीय श्रृद्धा इंसानों के पाखंड तक सीमित हो के रह गई ,कभी कभी तो ल...
संविधान का मान, करणा इब उट्ठो जागो। संविधान का मान, करणा इब उट्ठो जागो।
पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार किसी सीता पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार...
तुम्हारे पास पाने को दुनिया है खोने को कुछ नहीं तुम्हारे पास पाने को दुनिया है खोने को कुछ नहीं
अरे ! अपनी इन आँखो को देखो, ये भी तो काली हैं, फिर भी ये दुनिया इन आँखो की दीवानी है।' काले-गोर के भ... अरे ! अपनी इन आँखो को देखो, ये भी तो काली हैं, फिर भी ये दुनिया इन आँखो की दीवान...
तू उगता सा सूरज, मैं ढलता सितारा तेरी एक झलक से मैं छुप जाऊँ सारा , तू उगता सा सूरज, मैं ढलता सितारा तेरी एक झलक से मैं छुप जाऊँ सारा ,